1905 में बंगाल विभाजन के बाद स्वदेशी आंदोलन बंगाल सहित देश के कई हिस्सों में शुरू हुआ। इसे वंदे मातरम् आंदोलन के नाम से भी जाना जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य बंगाल का पुनः एकीकरण था और इसमें स्वदेशी व बहिष्कार दो प्रमुख रणनीतियाँ थीं।
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