चंद्रगुप्त प्रथम को 'लिच्छवि दौहित्र' के रूप में जाना जाता था। उनका विवाह लिच्छवि राजकुमारी कुमारदेवी से हुआ था, जो गुप्त शासन के प्रमुख घटनाओं में से एक था। इस विवाह का महत्व समुद्रगुप्त के इलाहाबाद प्रशस्ति से भी ज्ञात होता है, जिसमें उन्होंने खुद को "लिच्छवियों का दौहित्र" या लिच्छवियों की बेटी का पुत्र बताया है।
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