रैका जनजाति, जिन्हें रबारी भी कहा जाता है, राजस्थान के शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में पाई जाती है। ये खासकर राजसमंद जिले के कुम्भलगढ़ क्षेत्र के आसपास रहते हैं। रैका समुदाय की ऊंटों, विशेष रूप से मरवाड़ी नस्ल से गहरी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक जुड़ाव है। ऊंट पालन इनके लिए केवल आजीविका नहीं बल्कि एक परंपरागत जीवनशैली है जो रीति-रिवाजों, कहानियों और मौसमी प्रवास से जुड़ी होती है। इन्हें चारागाह चक्र, पशु देखभाल और जैव विविधता की पारंपरिक जानकारी होती है जिससे राजस्थान के नाजुक शुष्क पारिस्थितिकी तंत्र को लंबे समय से सहारा मिला है। हाल की खबरों में इनकी पारंपरिक चराई पद्धतियों और प्राकृतिक पशु चिकित्सा ज्ञान को सूखे क्षेत्रों की सेहत बनाए रखने में अहम माना गया है।
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