30 अप्रैल 1908 को बंगाली युवा खुदीराम बोस और प्रफुल्ल चाकी ने मुजफ्फरपुर में कलकत्ता के चीफ प्रेसीडेंसी मजिस्ट्रेट डगलस किंग्सफोर्ड की बग्गी पर बम फेंका। दुर्भाग्य से उसमें यात्रा कर रही दो महिलाओं की मौत हो गई। पकड़े जाने पर चाकी ने आत्महत्या कर ली। 11 अगस्त 1908 को ब्रिटिश सरकार ने क्रांतिकारी खुदीराम बोस को कोलकाता में फांसी दे दी। उस समय उनकी उम्र सिर्फ 18 साल 8 महीने और 8 दिन थी। काज़ी नजरुल इस्लाम ने उनकी स्मृति में एक कविता लिखी।
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