मुगल चित्रकला सम्राट जहांगीर के शासनकाल में अपनी चरम सीमा पर पहुंची। यह दक्षिण एशिया की एक विशिष्ट चित्रकला शैली है, जो लघु चित्रों तक सीमित थी। इन्हें या तो पुस्तकों में चित्रण के रूप में या फिर एलबम में संकलित एकल कृतियों के रूप में रखा जाता था। यह चित्रकला पारसी लघु चित्रकला से विकसित हुई और मुख्य रूप से 16वीं से 18वीं शताब्दी के दौरान मुगल साम्राज्य के दरबार में फली-फूली।
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