मध्यकाल में प्रचुर मात्रा में अतिरिक्त कृषि योग्य भूमि उपलब्ध थी, जिससे किसान नए क्षेत्रों में बसने के लिए अक्सर प्रवास करते थे। यह प्रवास विशेष रूप से संकट के समय अधिक होता था। ज़मींदार और गाँव के मुखिया नए किसानों को अपनी भूमि पर बसाने के लिए प्रतिस्पर्धा करते थे। इन प्रवासी किसानों को 'पाही' या 'उपरी' कहा जाता था और यह प्रवास मध्यकालीन ग्रामीण जीवन का सामान्य हिस्सा था।
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