हाल ही में भालू के हमले में चार लोग घायल हो गए थे। ये लोग भोरमदेव वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी के कवर्धा रेंज में तेंदू पत्ते इकट्ठा कर रहे थे। यह सैंक्चुअरी छत्तीसगढ़ के कवर्धा ज़िले में स्थित है और सतपुड़ा की मैकल पर्वत श्रृंखला का हिस्सा है। इसका नाम पास के भोरमदेव मंदिर के नाम पर रखा गया है जो करीब 1000 साल पुराना है और "छत्तीसगढ़ का खजुराहो" कहलाता है। यह सैंक्चुअरी लगभग 352 वर्ग किलोमीटर में फैली है और कान्हा-अचनाकमार कॉरिडोर का हिस्सा है जो दो प्रमुख संरक्षित क्षेत्रों को जोड़ता है। यहां की भौगोलिक संरचना में पहाड़, घने जंगल और कई जलधाराएं शामिल हैं। फेन और संकरी नदियों का उद्गम भी यहीं से होता है। यहां के जंगलों में साज, साल, तेंदू और नीलगिरी जैसे पेड़ पाए जाते हैं जो आर्द्र और शुष्क पर्णपाती वनों का हिस्सा हैं।
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