भारतीय डाक विभाग की स्थापना 1837 में हुई थी, लेकिन एशिया का पहला चिपकने वाला डाक टिकट "सिंध डाक" 1852 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के सिंध प्रांत के प्रशासक सर बार्टल फ्रेयर द्वारा जारी किया गया था। पूरे भारत में डाक के लिए मान्य पहले डाक टिकट अक्टूबर 1854 में चार मूल्यों 1/2 आना, 1 आना, 2 आने और 4 आने के साथ बिक्री के लिए उपलब्ध कराए गए। ये टिकट एक जांच आयोग की सिफारिश पर जारी किए गए, जिसने यूरोप और अमेरिका की डाक प्रणालियों का गहन अध्ययन किया था। इस नई प्रणाली की सिफारिश गवर्नर जनरल लॉर्ड डलहौजी ने की थी और ईस्ट इंडिया कंपनी के निदेशक मंडल ने इसे अपनाया। इस प्रणाली ने पूरे देश में डाक भेजने के लिए "सस्ती और समान" दरों को लागू किया, जिससे डाक सेवा अधिक प्रभावी हो गई।
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