मिश्रित आर्थिक प्रणाली
है। यह प्रणाली पूंजीवाद और समाजवाद दोनों के तत्वों को जोड़ती है। इसमें निजी संपत्ति की सुरक्षा होती है और पूंजी के उपयोग में आर्थिक स्वतंत्रता मिलती है, साथ ही सरकार को सामाजिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए आर्थिक गतिविधियों में हस्तक्षेप करने की अनुमति भी होती है।
भारत में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र साथ मिलकर देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाते हैं। 1948 और 1956 की औद्योगिक नीतियों ने इस सह-अस्तित्व का मार्ग प्रशस्त किया।
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