भारतीय शास्त्रीय संगीत में सात मूल स्वर होते हैं और इनके बीच पाँच कोमल या तीव्र स्वर होते हैं, जिससे कुल 12 स्वरों का स्केल बनता है। पश्चिमी संगीत के 12-स्वर स्केल के विपरीत, इसका आधार आवृत्ति स्थिर नहीं होती और स्वरों के बीच के अंतर भी भिन्न हो सकते हैं। प्रस्तुति एक राग पर आधारित होती है, जिसमें आरोह-अवरोह, वादी-समवादी स्वर और विशिष्ट स्वर संरचनाएँ (पकड़) महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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