यूनेस्को द्वारा अमूर्त विरासत माने जाने वाले कालबेलिया नृत्य को इसी नाम की जनजाति की महिलाएँ प्रस्तुत करती हैं। इसके नृत्य आंदोलनों में सांप जैसी लय होती है, इसलिए इसे 'सपेरा नृत्य' या 'स्नेक चार्मर डांस' भी कहा जाता है। भवाई राजस्थान का एक पारंपरिक नृत्य है, जिसे आमतौर पर राज्य के कालबेलिया, जाट, मीणा, भील और कुम्हार जनजातीय समुदायों की महिलाएँ प्रस्तुत करती हैं।
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