बिजोलिया किसान आंदोलन मेवाड़ राज्य में हुआ था, जो अब उदयपुर जिले का हिस्सा है। बिजोलिया के जागीरदार परमार राजपूत थे, जिनकी जागीर में 96 गांव थे। किसानों पर 86 तरह के कर लगाए गए थे, जिनके खिलाफ उन्होंने 1905 में विद्रोह किया। शुरुआत में इसका नेतृत्व सीताराम दास ने किया। यह आंदोलन राष्ट्रीय आंदोलन से जुड़ गया। 1916 में विजय सिंह पथिक और माणिक्यलाल वर्मा (भविष्य के राजस्थान के मुख्यमंत्री) ने इसे "नो टैक्स मूवमेंट" का रूप दिया। किसानों ने बेगार करने से इनकार कर दिया और कर देना बंद कर दिया। यह आंदोलन 1920 के दशक तक जारी रहा और धीरे-धीरे राजपूताना के अन्य राज्यों में भी फैल गया।
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