बयलाट कर्नाटक की एक पारंपरिक लोक नाट्य शैली है, जो विशेष रूप से राज्य के दक्षिणी क्षेत्रों में प्रचलित है। इसे धार्मिक प्रदर्शन भी माना जाता है, जो देवताओं के सम्मान में किया जाता है। यह नृत्य प्रदर्शन फसल कटाई के मौसम के अंत का प्रतीक होता है। सेनैया और कोटी की प्रसिद्ध कथा बयलाट के रूप में प्रस्तुत की जाती है, जो तुलुनाडु के लोगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यक्षगान की इस शैली में 'सूत्रधार' नामक एक ही कथावाचक होता है, जो पृष्ठभूमि से कहानी या काव्यात्मक छंद सुनाता है। इस गाथा शैली में, डोड्डाटा प्रकार को छोड़कर, पुरुष और महिलाएं दोनों सामूहिक रूप से प्रस्तुति देते हैं।
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