चोल साम्राज्य के दौरान समाज जातिगत आधार पर विभाजित था और अछूत माने जाने वाले परैयार की स्थिति दयनीय बनी रही। इस अवधि में राजकीय संरक्षण ब्राह्मणों को उपहार देने से बदलकर मंदिरों को उपहार देने की ओर स्थानांतरित हो गया।
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