प्रो. के. टी. शाह
प्रो. के. टी. शाह प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री और संविधान सभा के सदस्य थे। उन्होंने निर्देशक सिद्धांतों की आलोचना करते हुए उन्हें "अनावश्यक छल", "बिना किसी ठोस आधार के महज दिखावटी सजावट" और "बैंक का वह चेक जो तभी देय हो जब बैंक के पास संसाधन उपलब्ध हों" कहा था।
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