रामानंद उत्तर भारत में भक्ति आंदोलन के प्रवर्तक और पहले भक्ति संत थे। उन्होंने जनसामान्य की भाषा हिंदी में उपदेश दिए। कबीर उनके शिष्य थे।
रामानंद के 12 शिष्यों में अनंतानंद, सुरसुरानंद, सुखानंद, नरहरिदास, भवानंद, भगत पीपा, कबीर, सेन, धन्ना, रैदास और
सुरसुरी व पद्यावती शामिल थीं। इनमें कबीर सबसे क्रांतिकारी थे और बाद में उन्होंने गैर-परंपरागत दृष्टिकोण अपनाया।
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