29 मार्च 1857 को 34वीं नेटिव इन्फैंट्री के भारतीय सिपाही मंगल पांडेय ने ग्रीस लगे कारतूस का इस्तेमाल करने से इनकार कर दिया और अकेले ही परेड के दौरान बैरकपुर में ब्रिटिश अधिकारियों (ह्यूसन और बाघ) पर हमला कर उन्हें मार डाला। बाद में उन्हें गिरफ्तार कर 8 अप्रैल 1857 को बैरकपुर में फांसी दे दी गई। जिस रेजिमेंट में वे थे, उसे भंग कर दिया गया और विद्रोह में शामिल सिपाहियों को दंडित किया गया।
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