मुगल दरबारों में फारसी भाषा को विशेष महत्व मिला और फारसी साहित्य व संस्कृति का मुगल वंश पर गहरा प्रभाव पड़ा। जैसे-जैसे फारसी का प्रचलन बढ़ा, यह मुगलों की दरबारी और आधिकारिक भाषा बन गई। मुगलों ने इसे संचार, कविता, साहित्य और कला के लिए एक सामान्य भाषा के रूप में प्रोत्साहित किया।
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