1851 ई. में नौरोजी फुर्दोंजी, दादाभाई नौरोजी और एस.एस. बंगाली ने बॉम्बे में रहनुमाई मजदायासन सभा की स्थापना की। इसका उद्देश्य जरथुस्त्र धर्म को उसकी प्राचीन गरिमा लौटाना था। इन्होंने रूढ़िवाद के खिलाफ अभियान चलाया और पारसी समाज में महिलाओं की शिक्षा, विवाह और सामाजिक स्थिति से जुड़े सुधारों की शुरुआत की।
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