यह लोक नाट्य शैली मूल रूप से मध्य प्रदेश की है। पहले इसमें केवल पौराणिक विषयों को प्रस्तुत किया जाता था, बाद में इसमें प्रेमकथाएँ भी शामिल होने लगीं। इस नाट्य शैली में संवाद को "बोल" और तुकबंदी को "वणाग" कहा जाता है। इसमें संवाद रंगत दोहों के रूप में प्रस्तुत किए जाते हैं।
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