बोरगीत भावपूर्ण गीतों का एक संग्रह है। इसे 15वीं से 16वीं शताब्दी के बीच श्रीमंत शंकरदेव और माधवदेव ने रचा था। यह मठों में प्रार्थना की शुरुआत के लिए गाया जाता है। ये गीत असम के साथ उत्तर प्रदेश और बिहार में भी लोकप्रिय हैं। बोरगीत की शैली प्रबंध गान परंपरा का पालन करती है जो हिंदुस्तानी संगीत के ध्रुपद और कर्नाटक संगीत के कृति के समकालीन मानी जाती है।
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