गांधीजी की आत्मकथा का नाम "सत्य के साथ मेरे प्रयोग" है, जो 1927 में प्रकाशित हुई थी। इस पुस्तक में उन्होंने लिखा, "इंडियन ओपिनियन के पहले ही महीने में मुझे एहसास हुआ कि पत्रकारिता का एकमात्र उद्देश्य सेवा होना चाहिए। समाचार पत्र एक बड़ी शक्ति है, लेकिन जैसे अनियंत्रित जलप्रवाह पूरे क्षेत्र को डुबो देता है और फसलों को नष्ट कर देता है, वैसे ही एक अनियंत्रित कलम भी केवल विनाश लाती है।"
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