बड़ौदा के राजा सयाजीराव गायकवाड़ ने भारत में अनिवार्य शिक्षा का सफल प्रयोग सबसे पहले किया था। 1892 में उन्होंने अमरेली की एक तालुका में अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा लागू करने की घोषणा की, जिसमें उनके राज्य के लगभग 9 गांव शामिल थे। इस योजना के तहत 7-12 वर्ष के लड़कों और 7-10 वर्ष की लड़कियों को निःशुल्क शिक्षा दी जानी थी। 1893 में यह प्रयोग शुरू हुआ और सफल रहा, जिसके बाद इसे उसी तालुका के 52 गांवों तक बढ़ाया गया। 1906 में एक अधिनियम के माध्यम से इस राज्य ने सभी बच्चों के लिए अनिवार्य शिक्षा लागू कर दी।
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