1632 में, अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी ने दक्षिण भारत के गोलकुंडा राज्य के कुतुब शाही शासकों से एक महत्वपूर्ण व्यापारिक विशेषाधिकार प्राप्त किया। इसे "गोल्डन फरमान" कहा जाता है। इस शाही आदेश के तहत, ईस्ट इंडिया कंपनी को वार्षिक 500 पगोडा (स्वर्ण मुद्राएं) कर चुकाकर गोलकुंडा में स्वतंत्र रूप से व्यापार करने की अनुमति मिली।
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