आदि शंकराचार्य ने अद्वैत सिद्धांत प्रतिपादित किया था। इस अद्वैत दर्शन की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं:
• इस सिद्धांत के अनुसार आत्मा और ब्रह्मांड में कोई भेद नहीं है, दोनों एक-दूसरे में समाहित हैं
• यह मत कहता है कि आत्मा और ब्रह्म में कोई अंतर नहीं है। जीवात्मा ब्रह्म से भिन्न नहीं है, इसलिए इसे अद्वैत अर्थात् "अद्वितीयता" कहा जाता है
• अद्वैत का मूल सिद्धांत यह है कि केवल एक अपरिवर्तनीय सत्ता ही वास्तविक है, जबकि परिवर्तनशील वस्तुओं का कोई स्वतंत्र अस्तित्व नहीं होता
संसार माया है और केवल आत्मा ही वास्तविक है। जो व्यक्ति इस सत्य को समझ लेता है, वह मोक्ष प्राप्त करता है
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