विजयनगर साम्राज्य के सम्राट श्री कृष्णदेव राय ने तेलुगु में महाकाव्य 'अमुक्तमाल्यदा' लिखा था। यह महाकाव्य पेरियाझवार की पुत्री गोदा देवी की प्रसिद्ध कथा बताता है, जो भगवान रंगनाथ के लिए अर्पित होने से पहले ही उनके लिए बनाई गई मालाएं पहन लेती थीं। इसी कारण इसे 'अमुक्तमाल्यदा' नाम दिया गया, जिसका अर्थ है 'जो माला पहनता है और फिर अर्पित करता है'।
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