क्रांतिकारी जतिंद्र नाथ दास (जतिन दास) को 14 जून 1929 को सप्लीमेंटरी सेकंड लाहौर षड्यंत्र केस के तहत गिरफ्तार किया गया था। वे भगत सिंह और उनके साथियों के साथ भूख हड़ताल पर बैठे थे। जेल में उनकी हालत लगातार बिगड़ती गई और वे गंभीर स्थिति में पहुंच गए। जेल प्रशासन ने बिना शर्त रिहाई की सिफारिश की, लेकिन सरकार ने इसे ठुकरा दिया। 13 सितंबर 1929 को 63 दिन की भूख हड़ताल के बाद लाहौर जेल में उनकी शहादत हुई। उनकी अंतिम यात्रा दुर्गावती देवी ने लाहौर से कलकत्ता तक ट्रेन से निकाली। रास्ते में हजारों लोग स्टेशन पर उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे। कोलकाता में उनकी शवयात्रा लगभग दो मील लंबी थी।
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