डांडी मार्च (12 मार्च 1930), जिसे नमक सत्याग्रह के नाम से भी जाना जाता है, महात्मा गांधी द्वारा शुरू किया गया था। उन्होंने साबरमती आश्रम, अहमदाबाद से डांडी गांव के समुद्र तट तक इस मार्च का नेतृत्व किया। इस आंदोलन का मुख्य कारण ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत में नमक पर एकाधिकार और उस पर कर लगाया जाना था। यह कर विरोध और अहिंसक प्रतिरोध का सीधा अभियान था, जिसने औपनिवेशिक भारत में ब्रिटिश नमक एकाधिकार का विरोध किया और व्यापक सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की। मार्च की शुरुआत में गांधीजी ने कहा था, "मैंने घुटनों के बल रोटी मांगी और बदले में पत्थर मिला।"
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