रूसी सोशल डेमोक्रेटिक वर्कर्स पार्टी की स्थापना 1898 में उन समाजवादियों ने की थी जो मार्क्स के विचारों का सम्मान करते थे। कुछ रूसी समाजवादियों का मानना था कि किसानों द्वारा समय-समय पर भूमि का पुनर्वितरण करने की परंपरा उन्हें स्वाभाविक रूप से समाजवादी बनाती है। इसलिए, उनका मानना था कि श्रमिकों के बजाय किसान क्रांति की मुख्य शक्ति होंगे और रूस अन्य देशों की तुलना में अधिक तेजी से समाजवादी बन सकता है। 1900 में उन्होंने सोशलिस्ट रिवोल्यूशनरी पार्टी बनाई, जो किसानों के अधिकारों के लिए संघर्ष कर रही थी और जमींदारों की भूमि किसानों को हस्तांतरित करने की मांग कर रही थी। सोशल डेमोक्रेटिक वर्कर्स पार्टी किसानों को लेकर सोशलिस्ट रिवोल्यूशनरी पार्टी से असहमत थी। इस पार्टी के नेता लेनिन का मानना था कि किसान एक समान वर्ग नहीं हैं। सोशल डेमोक्रेटिक वर्कर्स पार्टी संगठनात्मक रणनीति को लेकर भी विभाजित थी। बोल्शेविक गुट के नेता व्लादिमीर लेनिन का मानना था कि ज़ारशाही रूस जैसी दमनकारी व्यवस्था में पार्टी को अनुशासित होना चाहिए और इसके सदस्यों की संख्या तथा गुणवत्ता पर नियंत्रण होना चाहिए। इसलिए, कथन 1 गलत है। दूसरी ओर, मेन्शेविक मानते थे कि पार्टी की सदस्यता सभी के लिए खुली होनी चाहिए, जैसा कि जर्मनी में था। अतः कथन 2 भी गलत है।
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