तेरहवीं शताब्दी की शुरुआत में दिल्ली के सुल्तानों का नियंत्रण केवल किलेबंद शहरों तक सीमित था, जहां उनकी सेनाएं तैनात रहती थीं। वे शहरों के बाहरी इलाकों पर बहुत कम नियंत्रण रखते थे और व्यापार, कर या लूट पर निर्भर रहते थे। मंगोल आक्रमणों और कमजोर सुल्तानों के खिलाफ बगावत करने वाले गवर्नरों ने भी दिल्ली की सत्ता को चुनौती दी। इन चुनौतियों के बावजूद सल्तनत किसी तरह बची रही। इसका सुदृढ़ीकरण ग़ियासुद्दीन बलबन के शासनकाल में हुआ और अलाउद्दीन खिलजी व मुहम्मद तुगलक के समय इसका और विस्तार हुआ।
This Question is Also Available in:
English