तुलसीदास ने रामचरितमानस अवधी में लिखा, जो हिंदी की एक उपभाषा है। 16वीं शताब्दी में जब तुलसीदास रहे, तब संस्कृत विद्वानों और उच्च वर्ग की भाषा मानी जाती थी। लेकिन उन्होंने आम लोगों तक रामायण और उसके आदर्श पहुंचाने के लिए अवधी में लिखा। उनका मानना था कि ज्ञान सबके लिए उपलब्ध होना चाहिए, चाहे व्यक्ति की सामाजिक स्थिति या शिक्षा कुछ भी हो।
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