यक्ष और यक्षिणी की मूर्तियाँ बौद्ध धर्म और जैन धर्म दोनों से संबंधित हैं। पटना, विदिशा और मथुरा जैसे कई स्थानों पर यक्ष और यक्षिणियों की बड़ी मूर्तियाँ पाई जाती हैं। ये विशाल मूर्तियाँ अधिकतर खड़ी स्थिति में होती हैं। इन सभी मूर्तियों में एक विशेष तत्व इनकी चमकदार सतह है। यह यक्ष पूजा की लोकप्रियता और बौद्ध और जैन धार्मिक स्मारकों में मूर्तियों के रूप में इसके समावेश को दर्शाता है।
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