मैंगलोर संधि 11 मार्च 1784 को टीपू सुल्तान और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच हुई थी। यह मैंगलोर में संपन्न हुई और द्वितीय आंग्ल-मैसूर युद्ध को समाप्त किया। इस संधि का सबसे बड़ा लाभ टीपू को ब्रिटिशों पर पड़े मनोवैज्ञानिक प्रभाव के रूप में मिला। इस संधि का अपमानजनक पहलू, अमेरिका में तेरह उपनिवेशों के हालिया नुकसान के साथ मिलकर, ब्रिटिशों को टीपू को हराने के लिए और अधिक दृढ़ बना दिया।
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