गतिज ऊर्जा शून्य होती है।
जब कोई गेंद ऊर्ध्वाधर रूप से ऊपर फेंकी जाती है तो गुरुत्वाकर्षण बल गति की विपरीत दिशा में कार्य करता है, जिससे उसकी गति धीरे-धीरे कम होने लगती है। इस कारण गतिज ऊर्जा घटती जाती है और अधिकतम ऊँचाई पर यह शून्य हो जाती है। इस स्थिति में पूरी गतिज ऊर्जा स्थितिज ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है।
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