छायावाद हिंदी साहित्य में रोमांटिक उत्थान की वह काव्यधारा है, जो लगभग 1918 से 1937 तक प्रमुख युगवाणी रही।
जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला', सुमित्रानंदन पंत, महादेवी वर्मा और पंडित माखनलाल चतुर्वेदी इस काव्यधारा के प्रतिनिधि कवि माने जाते हैं।
छायावाद नामकरण का श्रेय मुकुटधर पांडेय को जाता है।
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