चेराव नृत्य को 'बांस नृत्य' भी कहा जाता है क्योंकि इसमें बांस का उपयोग किया जाता है। यह मिजो समुदाय का सबसे रंगीन और विशिष्ट नृत्य रूपों में से एक है। माना जाता है कि इसे पहली शताब्दी से किया जा रहा है। इस नृत्य में पुरुष जमीन पर बैठते हैं और लंबे क्षैतिज तथा क्रॉस बांसों को लयबद्ध तरीके से खोलते और बंद करते हैं। महिलाएं 'पूनची', 'कवच', 'वकिरिया' और 'थिहना' जैसे बहुरंगी मिजो परिधान पहनकर बांस की ताल के बीच अंदर-बाहर नृत्य करती हैं। यह नृत्य लगभग सभी उत्सवों में प्रस्तुत किया जाता है।
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