कुचिपुड़ी आंध्र प्रदेश का एक शास्त्रीय नृत्य है। प्रस्तुति आमतौर पर कुछ मंचीय अनुष्ठानों से शुरू होती है, जिसके बाद प्रत्येक पात्र मंच पर आकर एक धारवु (गीत और नृत्य का छोटा संयोग) के माध्यम से अपना परिचय देता है। इससे पात्र की पहचान और नाटक का भाव स्पष्ट होता है, फिर नाटक शुरू होता है। इस नृत्य में आमतौर पर कर्नाटकी संगीत का प्रयोग होता है। गायन के साथ मृदंगम (दक्षिण भारतीय शास्त्रीय ताल वाद्य), वायलिन, बांसुरी और तंबूरा (तारयुक्त वाद्य) का संगत होता है। कलाकारों द्वारा पहने जाने वाले आभूषण आमतौर पर बूरुगु नामक हल्की लकड़ी से बने होते हैं। इसका उद्भव सातवीं शताब्दी में हुआ था।
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