भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) बॉम्बे के वैज्ञानिकों ने नमक के पानी के उपचार के लिए कमल के पत्ते जैसे सौर वाष्पक विकसित किए हैं जिन्हें डुअल-साइडेड लेजर-इंड्यूस्ड ग्राफीन (DSLIG) कहा जाता है। यह सामग्री पॉलीविनाइलिडीन फ्लोराइड (PVDF) और पॉलीइथर सल्फोन (PES) का उपयोग करके बनाई गई है, जिसमें लेजर का उपयोग करके ग्राफीन उकेरा गया है। DSLIG सुपरहाइड्रोफोबिक है, जिसका मतलब है कि यह कमल के पत्तों की तरह पानी को दूर करता है और इसकी सतह पर नमक चिपकने से रोकता है। यह सौर ताप और बिजली आधारित जूल हीटिंग दोनों का उपयोग करता है जिससे यह बादल वाले दिनों में भी काम करता है। यह ताप हानि को कम करके और दक्षता बनाए रखकर विलवणीकरण को सुधारता है। यह अत्यधिक खारे पानी के साथ भी अच्छा काम करता है और इसका कार्बन पदचिह्न और विषाक्तता कम है।
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