Q. किस संगठन ने दुर्लभ आयुर्वेदिक पांडुलिपियों 'द्रव्यरत्नाकर निघंटु' और 'द्रव्यमानकार निघंटु' को पुनर्जीवित किया है?
Answer: केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (CCRAS)
Notes: केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (CCRAS) ने हाल ही में दो दुर्लभ आयुर्वेदिक ग्रंथों—'द्रव्यरत्नाकर निघंटु' और 'द्रव्यमानकार निघंटु'—को पुनर्जीवित किया है। आयुर्वेद में 'निघंटु' उन ग्रंथों को कहते हैं जिनमें औषधियों के नाम, पर्यायवाची, गुण और उपयोग किए जाने वाले भागों की जानकारी होती है। 'द्रव्यरत्नाकर निघंटु', जिसे 1480 ईस्वी में मुद्गल पंडित ने लिखा था, 18 अध्यायों में विभाजित है और इसमें औषधियों के गुणों और उनके चिकित्सीय प्रयोगों का विस्तृत विवरण है। यह ग्रंथ धन्वंतरि और राजा निघंटु जैसे प्राचीन ग्रंथों से ज्ञान लेकर उसमें पौधों, खनिजों और पशु स्रोतों से प्राप्त नई औषधियों को जोड़ता है। 'द्रव्यमानकार निघंटु', जिसे भीष्म वैद्य द्वारा रचित माना जाता है, औषधियों के समान नामों (होमोनिम्स) पर केंद्रित है। यह धन्वंतरि निघंटु का एक महत्वपूर्ण परिशिष्ट माना जाता है और आयुर्वेदिक औषधियों की पहचान में भ्रम से बचाने में सहायक है।

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