सूर्य सेन (1894-1934) चटगांव रिपब्लिकन आर्मी के संस्थापक थे। उनका उद्देश्य ब्रिटिश शासन से चटगांव को मुक्त कराना था, जिसके लिए उन्होंने सशस्त्र विद्रोह और साम्राज्यवादी ठिकानों पर हमले की योजना बनाई। इस योजना को पूरा करने के लिए 18 अप्रैल 1930 को सूर्य सेन के नेतृत्व में चटगांव (या भारतीय) रिपब्लिकन आर्मी ने दो सरकारी शस्त्रागारों पर हमला किया और टेलीफोन, टेलीग्राफ व रेलवे सेवाओं को पूरी तरह बाधित कर दिया, जिससे चटगांव का भारत के अन्य हिस्सों से संपर्क कट गया। हमलों के बाद सूर्य सेन ने स्वतंत्र राष्ट्रीय क्रांतिकारी सरकार के गठन का आह्वान किया, लेकिन यह प्रयास ज्यादा समय तक नहीं चल सका। लगातार हार के बाद उन्होंने छापामार युद्ध का सहारा लिया और अपनी क्रांतिकारी गतिविधियों को आसपास के जिलों तक फैला दिया। तीन साल के साहसिक संघर्ष के बाद फरवरी 1933 में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और मृत्यु दंड दिया गया। वे फांसी की सजा पाने वाले अंतिम क्रांतिकारी शहीदों में से एक थे। उनकी शहादत के बाद क्रांतिकारी गतिविधियां लगभग समाप्त हो गईं।
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