शेरशाह सूरी ने राजस्थान में मारवाड़, रणथंभौर, नागौर, अजमेर, जोधपुर और बीकानेर के खिलाफ कई अभियान चलाए। उसने 1544 ईस्वी में अजमेर के पास हुए प्रसिद्ध सामेल युद्ध में मालदेव को हराया। इस युद्ध को गिरी-सुमेल का युद्ध भी कहा जाता है। इसमें मारवाड़ के राव मालदेव राठौड़ अपने ही सेनापतियों पर संदेह के कारण युद्ध छोड़कर चले गए थे। सेना का नेतृत्व जैता और कंपा कर रहे थे, जिन्होंने अपनी निष्ठा और देशभक्ति साबित करने के लिए युद्धभूमि में डटे रहने का निर्णय लिया।
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