मुगल सम्राट जहांगीर को कला, साहित्य और प्रकृति का प्रेमी माना जाता था। वह एक महान विद्वान थे और उर्दू, तुर्की, फारसी और हिंदी में निपुणता रखते थे। उन्होंने अपनी आत्मकथा 'तुज़ुक-ए-जहांगीरी' लिखी, जो उनके अभिव्यक्ति और अवलोकन की शक्ति को दर्शाती है। उनके शासनकाल में अकबर का मकबरा सिकंदरा में और एतमाद-उद-दौला का मकबरा आगरा में मुगल वास्तुकला के शिखर पर थे। वह एक उत्साही चित्रकार और प्रकृति प्रेमी थे, किसी भी चित्र को देखकर वह आसानी से उसके रचनाकार का नाम पहचान सकते थे।
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