जर्मन विद्वान मैक्स मूलर के अनुसार "मीमांसा को दर्शन की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता क्योंकि इसमें केवल धार्मिक कर्मकांडों की चर्चा हुई है। इसमें आत्मा, ईश्वर, बंधन, मोक्ष और उनके साधनों पर कोई विचार नहीं किया गया।" मीमांसा दर्शन हिंदू धर्म के छह दर्शनों में से एक है। इसे 'पूर्व मीमांसा' भी कहा जाता है। ऋषि जैमिनि द्वारा रचित सूत्रों के कारण इसे 'जैमिनीय धर्ममीमांसा' कहा जाता है।
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