अध्यक्ष के चयन को लेकर उदारवादियों और उग्रवादियों में संघर्ष
उग्रवादी तिलक या लाला लाजपत राय को सूरत अधिवेशन का अध्यक्ष बनाना चाहते थे, जबकि उदारवादी तिलक को बाहर रखते हुए रासबिहारी घोष को अध्यक्ष बनाना चाहते थे। इसी विवाद के कारण विभाजन अनिवार्य हो गया।
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