कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच लखनऊ समझौता 1916 में हुआ था। इस समझौते के तहत कांग्रेस और मुस्लिम लीग दोनों ने संवैधानिक सुधारों की मांगें रखने पर सहमति जताई। मुस्लिम लीग ने स्वराज की अवधारणा को स्वीकार किया। कांग्रेस ने मुस्लिम लीग के लिए पृथक निर्वाचन को स्वीकार किया। केंद्रीय विधान परिषद के कुल सदस्यों में से 1/3 मुस्लिम होंगे।
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