बानू मुश्ताक एक भारतीय लेखिका, वकील और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। वे कन्नड़ भाषा में लिखने वाली पहली लेखिका बनी हैं जिन्हें 2025 का इंटरनेशनल बुकर प्राइज मिला है। यह पुरस्कार उन्हें उनकी लघुकथा संग्रह 'हार्ट लैम्प' के लिए मिला। 'हार्ट लैम्प' इस पुरस्कार को जीतने वाला पहला लघुकथा संग्रह है जिसे £50,000 की राशि मिली। इंटरनेशनल बुकर प्राइज की शुरुआत 2005 में 'मैन बुकर इंटरनेशनल प्राइज' के रूप में हुई थी। यह पुरस्कार हर साल ऐसे किसी एक पुस्तक को दिया जाता है जिसे अंग्रेज़ी में अनुवाद कर यूके या आयरलैंड में प्रकाशित किया गया हो। इसका उद्देश्य गैर-अंग्रेज़ी भाषाओं की श्रेष्ठ साहित्यिक कृतियों को प्रोत्साहित करना है। यह पुरस्कार उपन्यासों और लघुकथा संग्रहों के ज़रिए अंग्रेज़ी भाषी पाठकों के बीच वैश्विक साहित्य को बढ़ावा देता है।
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