जल उठाने वाले यंत्र
मध्यकालीन काल में सिंचाई के अधिक स्रोत जैसे नहरें, झीलें, हौज, कुएं और बावड़ियां उपलब्ध थीं। जल संसाधनों की उपलब्धता ने खेती के विस्तार और कृषि गतिविधियों की तीव्रता को बढ़ावा दिया। आरघट्ट और घटियंत्र जैसे जल उठाने वाले यंत्रों का उल्लेख शिलालेखों और साहित्यिक कृतियों में मिलता है।
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