आदि ग्रंथ को सभी गुरुद्वारों में प्रमुख पूजनीय ग्रंथ और जीवित गुरु माना जाता है। इसे सुबह विधिवत खोला जाता है और रात में लपेटकर सुरक्षित रखा जाता है। विशेष अवसरों पर इसका लगातार पाठ किया जाता है जो 2 से 15 दिनों तक चल सकता है। गुरुओं की जयंती या शहीदों की स्मृति में इसे कभी-कभी शोभायात्रा में भी ले जाया जाता है।
This Question is Also Available in:
English