प्रसिद्ध आयुर्वेदिक ग्रंथ ‘अष्टांग हृदय’ आचार्य वाग्भट द्वारा लिखा गया था। वाग्भट बौद्ध धर्म के अनुयायी और महर्षि चरक के शिष्य थे। वे अपने परिष्कृत लेखन शैली के लिए प्रसिद्ध हैं।
‘अष्टांग हृदय’ आयुर्वेद और उसके सिद्धांतों में रुचि रखने वालों के लिए एक मूल्यवान ग्रंथ है। इसमें आयुर्वेद के आठ अंगों का उल्लेख किया गया है:
‘अष्टांग हृदय’ 7वीं से 8वीं शताब्दी ईस्वी के बीच लिखा गया था। यह ‘चरक संहिता’ और ‘सुश्रुत संहिता’ के बाद संकलित किया गया था।
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