अशोक और उनके पुत्र दशरथ ने बिहार में बाराबर और नागार्जुन की पहाड़ियों को काटकर आजीवक संप्रदाय के साधुओं के निवास के लिए गुफाएँ बनवाई थीं। इस परंपरा का विस्तार पश्चिमी और दक्षिणी भारत में बौद्ध चैत्य के रूप में देखा जा सकता है।
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